अवधूत भगवान् राम को यदि भारत रत्न की उपाधि दिया जाता

काशी की धरती पर कुष्ठ रोगियों की सेवा करने वाले अवधूत भगवान् राम को यदि भारत रत्न की उपाधि दिया जाता, तो शायद भारतीय परंपरा में निहित सेवा भाव जनसामान्य तक पहुँचता और भारतीय संस्कृति और एकता का भाव और भी मजबूत होता। भारत के सुदूर आतंरिक भाग जैसे उत्तर प्रदेश के सोनभद्र, छत्तीसगढ़ के जशपुर इत्यादि क्षेत्रों में किये गए कार्य देश की आधारशिला को मजबूत बनाने में एक अहम् भूमिका निभा रही है। साथ में भारत की प्राचीनतम परंपरा अघोर परंपरा के प्रति व्याप्त अंध-विश्वास दूर होता।आयुर्वेद के ज्ञान के प्रति भी भारतियों की आस्था प्रगाढ़ हो जाता।


सोनभद्र के मयूरपुर ब्लॉक के सिरसोती ग्राम में अवस्थित ब्रह्मनिष्ठ आश्रम में विगत तेरह साल के शिक्षण कार्य को संचालित करने के क्रम दसवें साल में अघोर संप्रदाय और अवधूत भगवान् राम के कार्य एवं समाज में सकारात्मक प्रभाव का आभास हुआ और अज्ञानतावस मन में व्याप्त लेशमात्र संशय दूर हुआ। *अवधूत भगवान् राम* मीरा लर्निंग सेण्टर, सिरसोती की शुरुआत कोरोना काल में २०२० में विधिवत शुरुआत की गयी और पिछले दो साल में सभी ग्रामीण जन, एनटीपीसी के वरिष्ठ पदाधिकारीगण, उत्तर प्रदेश के सामाजिक कल्याण मंत्री इत्यादि का आना जाना शुरू हो गया। “किरण” कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेण्टर शुरू होने के साथ बच्चे सहज योग के माध्यम से अपने मन को एकाग्र कर पढाई में लगाने लगे है और इससे मातृ शक्ति की परंपरा मजबूत हुई है।

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